10 lines on Rani Lakshmibai | 200 Words Essay on Rani Lakshmibai
These 10 lines on Rani Lakshmibai | 200 Words Essay on Rani Lakshmibai are for students and children in English for the classes 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10,11,12 and competitive exam(junior and senior classes).
Rani Lakshmibai was an Indian queen and one of the popular leaders of the Indian Rebellion of 1857. She was a true warrior and full of bravery who fought with the Britishers till her last breath.
- Rani Lakshmibai was born on 19th November 1828 to a Marathi Karhade Brahmin Family of Varanasi.
- She was named Manikarnika Tambe and her nickname was Manu and the Peshwa called her ‘Chhabili’.
- Her father Moropant Tambe worked for the Peshwa Baji Rao II of Bithoor district.
- She was taught to read and write at home and an independent child since her childhood.
- She was trained in shooting, horsemanship, fencing and mallakhamba.
- Manikarnika was married to the Maharaja of Jhansi, Gangadhar Rao Newalkar and after her marriage she was named Rani Lakshmibai.
- She gave birth to a boy, who died four months after his birth. The Maharaja adopted a child and who was renamed Damodar Rao.
- After the death of Maharaja in November 1853, the British East India Company, under Governor–General Lord Dalhousie applied the ‘Doctrine of Lapse’, rejecting Damodar Rao’s claim to the throne.
- Lakshmi bai fought wars to protect Jhansi from Britishers.
- She died on 18th June 1858 in the battle with the Britishers in order to protect Jhansi.
रानी लक्ष्मीबाई पर 10 पंक्तियाँ | रानी लक्ष्मीबाई पर 200 शब्द निबंध
रानी लक्ष्मीबाई पर हिंदी में ये 10 पंक्तियाँ कक्षा 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10,11,12 और प्रतियोगी परीक्षा (जूनियर और सीनियर क्लास) के छात्रों और बच्चों के लिए हैं।
रानी लक्ष्मीबाई एक भारतीय रानी थीं और 1857 के भारतीय विद्रोह के लोकप्रिय नेताओं में से एक थीं। वह एक सच्ची योद्धा और बहादुरी की प्रतीक थीं, जिन्होंने अपनी झांसी की रक्षा के लिए अपनी आखिरी सांस तक अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी।
- रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर 1828 को वाराणसी के एक मराठी ब्राह्मण परिवार में हुआ था।
- उनका नाम मणिकर्णिका तांबे रखा गया और उनका उपनाम मनु रखा गया और पेशवा उन्हें ‘छबीली’ कहते थे।
- उनके पिता मोरोपंत तांबे बिठूर जिले के पेशवा बाजीराव द्वितीय के लिए काम करते थे।
- लक्ष्मीबाई को घर पर पढ़ना-लिखना सिखाया जाता था और वह बचपन से ही निर्णय लेने वाली, स्वतंत्र और बहादुर बच्ची थीं।
- उन्हें निशानेबाजी, घुड़सवारी, तलवारबाजी और मल्लखंभा का प्रशिक्षण प्राप्त था।
- मणिकर्णिका की शादी झांसी के महाराजा गंगाधर राव नेवालकर से हुई थी और शादी के बाद उनका नाम रानी लक्ष्मीबाई रखा गया था।
- उसने एक लड़के को जन्म दिया, जो उसके जन्म के चार महीने बाद मर गया। महाराजा ने एक बच्चे को गोद लिया और उसका नाम बदलकर दामोदर राव रखा गया।
- नवंबर 1853 में महाराजा की मृत्यु के बाद, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी, गवर्नर-जनरल लॉर्ड डलहौजी ने दामोदर राव के सिंहासन के दावे को खारिज करते हुए ‘डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स’ लागू किया।
- लक्ष्मीबाई ने अंतिम सांस तक झांसी को अंग्रेजों से बचाने के लिए युद्ध लड़े।
- झांसी की रक्षा के लिए अंग्रेजों के साथ लड़ाई के दौरान 18 जून 1858 को उनकी मृत्यु हो गई।
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